NADEP Compost: इस कम्पोस्ट से 20% तक घट जाएगी खेती की लागत, जानिए बनाने का तरीका
NADEP Compost: नाडेप कम्पोस्ट तकनीक के तहत जमीन पर टांका बनाया जाता है. इसमें कम से कम गोबर का इस्तेमाल करके ज्यादा मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है.
(Image- Freepik)
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NADEP Compost: रासायनिक खाद और कीटनाशक के दाम बढ़ने से खेती की लागत बढ़ गई है, जिससे किसानों की कमाई घटने लगी है. ऐसे में खेती को फायदेमंद बनाने के लिए बेहतर उपाय है कि किसान लागत खर्च को कम कर उत्पादन बढ़ाएं. ऐसा तभी संभव है जब किसान खुद खाद (Compost) बनाएं. महाराष्ट्र के यवतमाल जिला के किसान नारायण देवराव पानधारीपान्डे ने नाडेप कम्पोस्ट (NADEP Compost) बनाया है जो किसानों को खेती की लागत कम करने में मददगार है. आइए जानते हैं क्या है नाडेप कम्पोस्ट और इससे बनाने का क्या है तरीका?
पहले जानते हैं क्या है नाडेप कम्पोस्ट?
नाडेप कम्पोस्ट तकनीक के तहत जमीन पर टांका बनाया जाता है. इसमें कम से कम गोबर का इस्तेमाल करके ज्यादा मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है. इस तकनीक से सड़ी खाद बहुत उच्च गुणवत्ता की होती है और बेकार उपयोग में न आने वाले पदार्थों का इस्तेमाल होता है.
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पोषक तत्वों से भरपूर
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नाडेप कम्पोस्ट (NADEP Compost) में पोषक तत्वों की मात्रा इस्तेमाल में लाई गई सामाग्री की गुणवत्ता पर निर्भर करती है. आमतौर पर नापेड कम्पोस्ट में नाइट्रोजन (0.8-1.4%), फास्फोरस (1.0-1.5%) और पोटाश (1.2-1.4%) पायी जाती है. इसके साथ-साथ सल्फर, लौह, जिंक, मैगनीज, तांबा, बोरान पोषक तत्व पाए जाते हैं.
होज बनाने का तरीका
किसान विज्ञान केंद्र (KVK) के मुताबिक, जमीन के ऊपर जहां पानी जमा नहीं होता हो, वहां 12 फीट लंब, 5 फीट चौड़ा और 3 फीट गहरा आयाताकर होज तैयार किया जाता है. दीवार की मोटाइ 9 इंच से 12 इंच रखी जाती है और उसमें हवा के आने जाने के लिए प्रत्येक दीवार में लंबाई की तरफ 7-8 और चौड़ाई की तरफ 4-5 छेद रखे जाते हैं. ढांचे का फर्श भी ईंट/पत्थरों द्वारा पक्का बनाया जाता है और दीवारों व फर्श को सीमेंट द्वारा पक्का प्लास्टर किया जाता है. जिससे पोषक तत्व जमीन में या दीवारों में रिसकर खराब न हो.
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होज को भरने के लिए जरूरी सामान
ढांचा बनने के बाद होज को भरने के लिए खेतों का खरपतवार, फसल अवशेष, सूखी पत्तियां, बचा चारा (1500-2000 किग्रा), कच्चा गोबर (90-100 किग्रा), सूखी छनी खेत की बारीक मिट्टी (1500 किग्रा), गौ मूत्र (10 लीटर), गुड़ (2 किग्रा), हवन की राख (100 किग्रा), एजोटोबैक्टर (4 पैकेट) और पानी (200-1500 लीटर) की जरूर होती है.
होज भरने का तरीका
- पहले गोबर को 100-125 लीटर पानी में घोल बनाकर होज के अंदर की दीवारों और फर्श पर छिड़कें.
- पहली परत 15 सेमी फसल अवशेषों को बनाएं.
- दूसरी परत 4-6 किग्रा गोबर को 125-150 लीटर पानी में घोलकर पहली परत पर इस तरह छिड़कें की पहली परत पूरी तरह से भीग जाए.
- तीसरी परत छनी हुई बारीक खेत की मिट्टी को लगभग एक इंच मोटी परत (60-70 किग्रा) दूसरी परत के ऊपर बिछा देते हैं और पानी छिड़क कर गीला कर देते हैं.
- इसी तरह होज को भरते चले जाते हैं और होज की सतह के ऊपर एक डेढ़ फीट ऊंचाई तक झोपड़ी की तरह ढलाव बनायी जाती है.
- ढलाव पर 5-7 सेमी मोटी परत बारीक मिट्टी को बिछाते हैं और मिट्टी-गोबर के मिक्सर का लेप लगाकर होज को सील कर दिया जाता है.
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पहली भराई के 15-20 दिन बाद जब गड्ढा बैठ जाए तब पहले के अनुसार 1.5 फीट ऊंचाई तक परत दोबारा लगाते हैं और मिट्टी-गोबर से पहले की तरह लेपकर बंद कर देना चाहिए. 110-120 दिनों में खाद तैयार हो जाता है. इस तरीके से एक होज से करीब 12-15 क्विंटल तक कम्पोस्ट खाद हर साल तैयार किया जा सकता है.
ऐसे करें खाद का इस्तेमाल
दलहनी और तिलहनी फसलों में 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टर, गेहूं-धान आदि में 90 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टर, सब्जी वाली फसलों में 120-150 क्विंटल प्रति हेक्टर खाद पहली जुताई के समय इस्तेमाल की जाती है.
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नादेव कम्पोस्ट प्रयोग के लाभ
किसी भी एक खेत तें लगातार तीन वर्ष तक इस खाद का प्रयोग करते हुए फसल चक्र के सिद्धान्त का पालन किया जाए तो पहले वर्ष में रासायनिक खाद की मात्रा का 50%, दूसरे वर्ष 75% और तीसरे वर्ष 100% इस्तेमाल बन्द किया जा सकता है और भरपूर उपज भी ली जा सकती है. बाजार में 10-20% अधिक कीमत पर बेची जा सकती है. जमीन को बंजर होने से बचायी जा सकती है. खेती की लागत 20% तक घटाई जा सकती है.
04:02 PM IST